लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किशनगढ़ शैली में कौन-से रंग प्रधानतः प्रयोग किए गए हैं?
2. किशनगढ़ शैली के मुख्य बिन्दु लिखिए।

उत्तर -

किशनगढ़ शैली का विकास चूंकि साहित्यिक पृष्ठभूमि में हुआ अतः वहाँ पर रचित कलाकृतियाँ काव्य एवं चित्र दोनों ही का रसास्वादन एक ही धरातल पर करा देती हैं। किशनगढ़ के राजा स्वयं वल्लभ सम्प्रदाय में दीक्षित सभी माध्यम से दिखायी देता यद्यपि किशनगढ़ शैली के चित्र संख्या कम हैं लेकिन शैली की उत्कृष्टता दृष्टिकोण से वह गागर में सागर की उक्ति को चरितार्थ करते हैं।

किशनगढ़ शैली की लम्बी छरहरी आकृतियों में एक प्रकार का ओज माधुर्य एवं भावनाओं की अथाह गहरायी उनके मुख मण्डल पर है। इस शैली के अलौकिक पात्र लौकिक बन कर दर्शक के साथ एक मधुर सामन्जस्य उत्पन्न कर लेते हैं।

रामगोपाल विजयवर्गीय के शब्दों में सौन्दर्य शास्त्रीय गुणों सम्पन्न किशनगढ़ शैली समझने के लिये भावनात्मक प्रबोध्य और संवेगात्मक आवेग की आवश्यकता है मात्र बौद्धिक चेतना की। वस्तुतः आत्माओं काम आध्यात्मिक प्रेम है जिसने किशनगढ़ शैली की चित्रकला को जीवन दिया है।

किशनगढ़ शैली की पृष्ठ भूमि

यद्यपि ग्रीष्म काल में किशनगढ़ की प्राकृतिक छठा उष्म रहती थी परन्तु शीत काल तथा वर्षा ऋतु में वही स्थान अपने नैसर्गिक परिवेश में रमणीय झीलों पर्वतों उपवनों वनस्पतियों का जो सौंदर्य प्रस्तुत करता है वह प्रारंभ से यहाँ के कलाकारों को प्रेरणा देने में सहायक है।

प्रकृति की रूप छठा ने इन कलाकारों द्वारा निर्मित कलाकृतियों की पृष्ठभूमि में न केवल वातावरण उपस्थित किया बल्कि विषयवस्तु का एक पात्र बन आकृति में की भावनाओं से सामन्जस्य भी प्रस्तुत किया।

गहन सरोवर बृहद झीलों में विशाल जलराशि उसमें खिले कमल, कलोल करते हंस, सारस दल एवं क्रीड़ा करती नौकाएं घने वृक्षों निकुंजों में मूक पक्षी हरी-भरी वनस्पति के मध्य झाँकती श्वेत वास्तु-सभी किशनगढ़ शैली के चित्रों के रूप माधुर्य को गढ़ने में सहायक हैं।

किशनगढ़ चित्रों की एक और प्रमुख विशेषता उसके वर्ण विधान निहित है। वैसे तो प्राय: चटख रंखों का प्रयोग है परन्तु उसमें रंगों को मिश्रित करके लगाया गया है। मुख्य रूप से पीला, लाल, हरा, नीला काला रंग प्रयुक्त हुआ है सुकोमल मानवाकृतियों में गुलाबी रंग भरा गया है।

हाशिए गुलावी हरे रंग से बनाए गए हैं आवश्यकतानुसार स्वर्ण एवं रजत का प्रयोग चित्रों को चार चाँद लगाता है। वर्ण सौन्दर्य के साथ-साथ किसी आकार को सम्पूर्णता रेखाओं से मिलती है । इस दृष्टि से किशनगढ़ चित्रों एवं रूपाकारों को रेखाओं का सौन्दर्य भी प्राप्त है।

इन सभी से ऊपर नारी चित्रण में किशनगढ़ शैली की तुलना काँगड़ा से कला की जाती है यहाँ के चित्रों में वर्णित नारी आदर्श सौन्दर्य का प्रस्तुतीकरण है।

गैरोला के शब्दों में पहाड़ी शैलियों में काँगड़ा कलम के चितेरों ने जिस प्रकार नारी छवि के मनोहर अंकन में अपनी कला को निखार करके रख दिया ठीक वैसे ही किशनगढ़ शैली चित्रकारों द्वारा नारी रूप का सुलेखन अनुपम है। वास्तविकता यह है कि किशनगढ़ की चित्र शैली का मूल्यांकन नारी चित्रों की दृष्टि से है। नारी सौन्दर्य का चित्रण जितना भी सम्भव हो सकता था कलाकारों ने दर्शित किया।

19वीं शताब्दी तक किशनगढ़ चित्र कला उन्नति करती रही। 1820 ई० के लगभग कल्याण सेन के आश्रय में गीत-गोविन्द के चित्र रचित हुये जिनमें उच्च कोटि की विशिष्टताएं है, परन्तु उसके पश्चात् चूंकि भारत में पाश्चात्य कला हावी होने लगी थी इसलिये उसका प्रभाव यहाँ की कला पर भी पड़ा।

किशनगढ़ शैली के प्रमुख बिंदु

राजस्थान की चित्रकला में किशनगढ़ शैली का विशिष्ट स्थान है। मारवाड़ शैली की प्रमुख शैली होने का गौरव इसे प्राप्त है।

राजा राजसिंह के पुत्र सावन्तसिंह के शासन काल में किशनगढ़ की चित्रकला एवं कविता की विशेष प्रसिद्धि हुई। सावन्त सिंह ने स्वयं नागरीदास नाम से अनेक ग्रन्थों की रचना की।

अठारहवीं शती के मध्य में किशनगढ़ में जिस कला-शैली का विकास हुआ उसमें सावन्त सिंह की ही प्रेरणा तथा रूचि का प्रभाव था ।

किशनगढ़ चित्रशैली को उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करने का श्रेय तीन व्यक्तियों को है। प्रथम कवि, चित्रकार, भक्त और कलाप्रेमी राजा सावन्तसिंह जिनके आश्रय में यह कला फली फूली । द्वितीय महाराजा सावन्तसिंह की प्रियतमा बनी-ठनी तथा तृतीय सावन्तसिंह का आश्रित चित्रकार मोरध्वज निहालचन्द ।

नागरीदास की कविताओं को आधार बनाकर बनी-ठनी के रूप सौन्दर्य को चित्रित करने का श्रेय 'निहालचन्द' को है।

किशनगढ़ शैली के अन्य चित्रकार अमरू सूरजमल सीताराम सिंह, मदनसिंह, नानकराम रामनाथ जोशी सवाईराम लाड़लीदास आदि का कार्य भी उल्लेखनीय रहा है।

किशनगढ़ शैली के चित्रों में नर-नारियों के अंग-प्रत्यंग का अभूतपूर्व अंकन हुआ है। गौरवर्ण, घने काजल युक्त विशाल बाँके नयन वलयित भृकुटि, पतले कोमलं अपर तिल बिन्दु से चित्रित चिवक से युक्त स्त्रियों का अंकन इस शैली की विशिष्टता है। पुरुषाकृति में लम्बा छरहरा शरीर, उन्नत ललाट वही और ऊँची उठी हुई नाक, पतले अधर तथा कान के पास तक खिंची हुई भौहों का विशेष अंकन हुआ है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book